थर्मल पावर प्लांट के लिए उन्नत अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकी
भारी उद्योग मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्रक उद्यम बीएचईएल ने इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) के सहयोग से स्वदेशी एडवांस अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकी विकसित की है। यह तकनीक देश में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करेगी।
एयूएससी अनुसंधान एवं विकास परियोजना को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। इस परियोजना को भारी उद्योग मंत्रालय, बीएचईएल, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और एनटीपीसी द्वारा वित्त पोषित किया गया था। इस परियोजना के लिए कुल ~ 900 करोड़ रुपये के परिव्यय के मुकाबले, भारी उद्योग मंत्रालय ने ~ 470 करोड़ रुपये का एक बड़ा योगदान दिया।
एयूएससी प्रौद्योगिकी-आधारित ताप विद्युत संयंत्रों से सुपर-क्रिटिकल संयंत्रों की तुलना में कोयले की खपत/कार्बन उत्सर्जन में लगभग 11% की कमी के अलावा सबक्रिटिकल सेटों की ~38% दक्षता और ~41-42% सुपरक्रिटिकल सेटों की दक्षता के मुकाबले 46% की संयंत्र दक्षता प्राप्त होगी।
इस प्रौद्योगिकी के लिए चरण-I अर्थात अनुसंधान एवं विकास चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। चरण-II में, विद्युत मंत्रालय (एमओपी) और एनटीपीसी के तत्वावधान में दुनिया का पहला 800 मेगावॉट एयूएससी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन संयंत्र (टीडीपी) स्थापित करने की योजना है।