भारतीय केपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता वृद्धि संबंधी स्कीम - चरण I

पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के लिए कौशल अंतराल को पाटने, बुनियादी ढांचा विकास और प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूंजीगत वस्तु स्कीम, चरण-I को नवंबर,2014 में शुरू किया गया था जिसका कुल परिव्यय 995.96 करोड़ रुपये है। स्कीम के चरण-I में सरकारी सहायता से प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच भागीदारी को सशक्त किया गया।

इस स्कीम के परिणामों ने प्रौद्योगिकी और औद्योगिक अवसंरचना विकास के लिए लागू की गई कार्यनीतियों की प्रभावोत्पादकता को सिद्ध किया है।

उत्कृष्टता केंद्र - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान, केंद्रीय विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएमटीआई) आदि जैसे राष्ट्रीय प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों में स्थापित 8 उत्कृष्टता केंद्रों में मशीन टूल्स, वस्त्र मशीनरी, अर्थ मूविंग मशीनरी, नैनो और सेंसर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में 25 नई प्रौद्योगिकियों का विकास किया गया है और इनमें से कई प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण किया गया है।

साझा इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र (सीईएफसी)- चार उद्योग 4.0 समर्थ केंद्र (स्मार्ट एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग एंड ट्रांसफॉर्मेशन हब्स) और छह वेब आधारित प्रौद्योगिकी नवाचार प्लेटफॉर्म (टीआईपी) सहित 15 साझा इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं। उद्योग 4.0 समर्थ केंद्र बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान, पुणे में सेंटर फॉर इंडस्ट्री 40 (सी4आई4) लैब, बेंगलुरु में केंद्रीय विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएमटीआई) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली में हैं।

छह वेब-आधारित खुले विनिर्माण तकनीकी नवाचार प्लेटफॉर्म भारत के सभी तकनीकी संसाधनों और संबंधित उद्योग को एक मंच पर लाने में मदद कर रहे हैं ताकि भारतीय उद्योग के समक्ष मौजूद प्रौद्योगिकीय समस्याओं की पहचान की जा सके और इसके लिए क्राउड सोर्स समाधान को व्यवस्थित तरीके से शुरू किया जा सके तथा ताकि स्टार्ट-अप को सुविधा प्रदान की जा सके और भारतीय नवाचारों की एंजेल फंडिंग हो सके। इसमें आत्मनिर्भर भारत बनाने और भारत में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी विनिर्माण क्षेत्र बनाने के दृष्टिकोण को कार्यरूप देने में मदद के लिए प्लेटफार्मों पर 'महाचुनौतियों' के माध्यम से स्वदेशी रूप से प्रमुख 'मूल' विनिर्माण प्रौद्योगिकियों का विकास शामिल है। ये 6 प्लेटफॉर्म आईआईटी मद्रास, केंद्रीय विनिर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएमटीआई), इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईकैट), ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई), बीएचईएल और हिंदुस्तान मशीन टूल्स द्वारा भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के सहयोग से विकसित किए गए हैं। ये प्लेटफॉर्म भारत में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी विनिर्माण के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ये प्लेटफॉर्म उद्योग, स्टार्ट-अप, डोमेन विशेषज्ञों/पेशेवरों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और शिक्षाविदों (कॉलेजों और विश्वविद्यालयों) को विनिर्माण प्रौद्योगिकियों से जुड़े मुद्दों पर प्रौद्योगिकीय समाधान, सुझाव, विशेषज्ञ राय आदि की सुविधा प्रदान करेंगे। इसके अलावा, यह अनुसंधान और विकास और अन्य तकनीकी पहलुओं के संबंध में ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा। अब तक 76,000 से अधिक छात्रों, विशेषज्ञों, संस्थानों, उद्योगों और प्रयोगशालाओं ने इन प्लेटफार्मों पर पंजीकरण किया है।

प्रौद्योगिकी अधिग्रहण निधि कार्यक्रम (टीएएफ़टी) – प्रौद्योगिकी अधिग्रहण निधि कार्यक्रम (टीएएफपी) के तहत विदेश से निम्नलिखित 5 प्रौद्योगिकियों का अधिग्रहण किया गया है-

  1. पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड, लखनऊ द्वारा सिरेमिक शेलिंग टेक्नोलॉजी के साथ टाइटेनियम कास्टिंग का विकास और वाणिज्यीकरण
  2. एलाइड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा हैवी ड्यूटी हाई रिलायबिलिटी इलेक्ट्रिकल स्पेशलाइज्ड पावर केबल्स का निर्माण
  3. एचएमटी मशीन टूल लिमिटेड, बेंगलुरु द्वारा टर्न मिल सेंटर का विकास
  4. एचएमटी मशीन टूल लिमिटेड, बेंगलुरु द्वारा फोर गाइडवे सीएनसी खराद का विकास
  5. औद्योगिक प्रोसेसर्स एंड मेटालाइज़र प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद द्वारा अत्याधुनिक रोबोटिक लेजर क्लैडिंग तकनीक

एकीकृत मशीन टूल पार्क, तुमकुरु : कर्नाटक के तुमकुरु में 530 एकड़ में मशीन टूल उद्योग के लिए एक विशेष औद्योगिक पार्क विकसित किया गया है। अब तक आवंटित 336 एकड़ भूमि में से 145 एकड़ भूमि मशीन उपकरण निर्माताओं को आवंटित की जा चुकी है। मशीन टूल्स पार्क की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. पार्क में उत्पादकता में सुधार और आपूर्ति श्रृंखला में नई क्षमताओं का निर्माण करने के लिए ग्रीन कवर क्षेत्र, इनक्यूबेशन, परीक्षण और प्रमाणन केंद्र और साझा इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र सहित अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा है।
  2. यह मशीन टूल क्षेत्र की लागत कम करने, हाई-टेक मशीन टूल्स, संवर्धित निर्यात क्षमता और अधिक निवेश आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  3. यह उद्योग और लघु और उद्यम उद्यमों, स्टार्टअप, अनुसंधान और विकास, इनक्यूबेशन सेंटर आदि के समग्र विकास के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन, कौशल विकास और आधुनिक विनिर्माण क्षमताओं के संवर्धन में निवेश को प्रोत्साहित करेगा।
  4. यह देश/राज्य की अर्थव्यवस्था, सकल घरेलू उत्पाद/राज्य सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से) को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
  5. यह पूंजीगत वस्तुओं के आयात को कम करने और विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार करने में भी मदद करेगा।

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पूंजीगत वस्तु स्कीम-चरण-II के आरंभ होने के बाद पूंजीगत वस्तु स्कीम के चरण-I को स्कीम के चरण-II में मिला दिया गया है।

भारतीय केपिटल गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता वृद्धि संबंधी स्कीम - चरण II

संसाधन 

राष्ट्रीय कैपिटल गुड्स नीति 2016

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